शुकतीर्थ के नीलकंठ मन्दिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा


मोरना। शुकतीर्थ में फिरोजपुर मार्ग पर प्राचीन सिध्द पीठ नीलकंठ मंदिर में नीलकंठ महादेव एवं माँ गंगा की मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान से  भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने की उन्होंने कहा कि शिव ही संपूर्ण ब्रह्मांड के आधार हैं।
पौराणिक शुकतीर्थ में स्थित नीलकंठ मंदिर में आयोजित समारोह में पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद ने कहा कि   शिव जी कि अनन्त विभूतियों से सारा संसार व्याप्त है। शिव के ॐ नमः शिवाय एवं महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा  आरोग्यता एवं दीर्घजीवन का वरदान मिलता है। समुद्र मन्थन से निकले  हलाहल विष  के प्रभाव से संसार को बचाने के लिए शिव जी ने विष को कंठ में धारण किया, जिसके कारण उनका कंठ नीला हो गया। इसलिए शिव जी को नीलकंठ कहा जाता है। गंगा जीवनदायनी और मोक्षदायनी है।  गंगा से हमारे प्राण जुड़े हैं, जीवन और मृत्यु जुड़ी है। गंगा हमारी आत्मा का प्रतीक है। गंगाजल अमृत है, जो जन्म से मृत्यु पर्यन्त हमारा साथ देता है। गंगा भारतीय जीवन का स्पंदन है। गंगा पर्वतों से अमूल्य खनिज तत्व ,वनस्पतियां , औषधियां समेटे लोक कल्याण के लिए बहती है। गंगा से जुड़ा विशाल अर्थतंत्र है, गंगा से जुड़े तीर्थ हैं, तीर्थो से जुड़े पुजारी हैं,  पुरोहित हैं और व्यापारी हैं। आज गंगा जी को प्रदूषण से  मुक्त करने का संकल्प लेने की आवश्यकता है। गंगा का नैसर्गिक, अविरल और निरंतर प्रवाह भारतीय जीवन एवं मानवता की मौलिक आवश्यकता है। इस अवसर पर नीलकंठ मंदिर के प्रबंधक बर्फानी बाबा, संत कृपाल दास , महात्मा गोवर्धन दास,  महामंडलेश्वर गोपाल दास, स्वामी विचारनन्द, नमामि गंगे के सह संयोजक डा. वीरपाल निर्वाल, ए.के. प्रभात आदि उपस्थित थे। भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।