मुजफ्फरनगर। सार्वदेशिक आर्यवीर दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. स्वामी देववृत ने कहा कि सत्य सदा सरल होता है, जबकि असत्य से भय,शंका, लज्जा और ग्लानि के भाव पैदा होते है। यज्ञ द्वारा देव उपासना से मनुष्य को सुखमय लोक की प्राप्ति होती है।
गांधी कालोनी में यजुर्वेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ करते हुए आर्ष गुरुकुल संस्थान, फरीदाबाद से पधारे डॉ. स्वामी देववृत ने कहा कि वेद मंत्रों में सत्य का स्वरूप प्रमाणित होता है। धर्म और न्याय सत्य के वाचक है। संतान को वैदिक सँस्कृति से दीक्षित करने को गुरुकुल शिक्षा से जोड़े। शारीरिक, बौद्धिक और चारित्रिक उन्नति उत्तम संस्कारों से मिलती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, योगीराज श्री कृष्ण, आदि शंकराचार्य, ऋषि दयानंद के जीवन का निर्माण गुरुजनों की छत्रछाया में हुआ, तभी भारत विश्व गुरु बना। आचार्य दयादेव ने कहा कि व्रत का अर्थ है, गुणों को ग्रहण करना तथा अवगुणों का त्याग करना। सत्य, सदाचार और न्याय को धारण करना व्रत है। यज्ञ ब्रह्मा आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि पवित्र आचरण ही धर्म है। माता-पिता की आज्ञा पालन तथा उनकी सेवा करना ही धर्म है। गुजरात के कच्छ से आये वैदिक प्रवक्ता आचार्य चंद्रेश ने कहा कि यज्ञ की व्याख्या की। इससे पूर्व प्रातः वेद मंत्रोच्चार से यज्ञ में आहुतियां अर्पित की गई। देवेंद्र राणा, आर.पी.शर्मा, आनंद पाल सिंह आर्य, मंगत सिंह आर्य, नरेंद्र सिंह, प्रमोद आर्य, अशोक जाखड़, सत्यजीत राणा आदि मौजूद रहे। आर्य समाज गांधी कालोनी, नई मंडी की ओर से डॉ स्वामी देववृत का अभिनंदन किया।
यजुर्वेद परायण महायज्ञ संपन्न